सींचकर बढ़े जिसे भाईचारा। धुले मन की दुर्गूण मैल सारा।। सींचकर बढ़े जिसे भाईचारा। धुले मन की दुर्गूण मैल सारा।।
जो तेरे लिए हमने क्या क्या न है किए उसे वापस दे और तू चली जा जो तेरे लिए हमने क्या क्या न है किए उसे वापस दे और तू चली जा
बसंती हवा चली सबके मन लगी । गाँव-गाँव और गली तेजी से ये बही। बसंती हवा चली सबके मन लगी । गाँव-गाँव और गली तेजी से ये बही।
लौट आओ लौट आओ
सब रास्ते सारी गली अब, महकती बन के कली, राहों में भटकती मैं चली, कभी इस गली कभी उस ग सब रास्ते सारी गली अब, महकती बन के कली, राहों में भटकती मैं चली, कभी इस...
कितनी बातें और करनी थी कितने वादे और करने थे कितने सपने और देखने थे पर तेरे पास वक्त कितनी बातें और करनी थी कितने वादे और करने थे कितने सपने और देखने थे पर ...